केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अटल पेंशन योजना, प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना तथा प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना को मंजूरी प्रदान कर दी।
पूर्व में, प्रधानमंत्री जन-धन योजना के तहत एक बड़ी संख्या में लोगों को बैंकिंग सेवाओं से जोड़ने की भी एक सफल कोशिश की गई थी। इस तरह की योजनाएं नि:संदेह नागरिकों को लाभ पहुंचाएंगी। लेकिन, इन तमाम योजनाओं के साथ-साथ एक सस्ती और टिकाऊ स्वास्थ्य बीमा स्कीम की भी जरूरत है। दुनिया में यह अपने जैसा अलग उदाहरण होगा।
महज 400-500 रुपये के सालाना भुगतान पर देश के नागरिकों को यदि लाख-दो-लाख रुपये मेडिक्लेम सुविधा मिल जाए तो यह उनके लिए एक बड़ा सहारा बन सकती है। इससे सरकार के 'सबको स्वास्थ्य' सुविधा प्रदान करने के लक्ष्य को भी बल मिलेगा। यकीन मानिए, इससे बड़ा 'मास्टर स्ट्रोक' मोदी सरकार के लिए नहीं हो सकता...। इतना ही नहीं, इससे 'सबका स्वास्थ्य, सबका विकास' नाम का नया नारा भी मोदी सरकार को मिलेगा...।
ध्यान रहे, साल 2015-16 के बजट भाषण में यह कहा गया था कि भारत की आबादी का बड़ा हिस्सा स्वास्थ्य, दुर्घटना और जीवन बीमा लाभ से वंचित है। सरकार ने सभी भारतीयों, विशेषकर निर्धन और उपेक्षित वर्गों के लिए सामाजिक सुरक्षा प्रणाली की स्थापना करने का फैसला लिया था।
अठारह से 100 साल तक के लोगों के लिए उनकी आयु के हिसाब से प्रीमियम कम या ज्यादा तय किया जा सकता है... नशीले पदार्थों के सेवन करने वाले या न करने वाले लोगों के लिए भी प्रीमियम में बदलाव किया जा सकता है। मौजूदा स्वास्थ्य के स्तर को देखकर भी प्रीमियम में कम या ज्यादा का बदलाव किया जा सकता है। इस तरह एक हजार रुपये की सीमा के अंदर कई स्तरों पर नागरिकों का स्वास्थ्य बीमा कराया जा सकता है। क्लेम न लेने पर अगले प्रीमियम में छूट का प्रावधान भी किया जा सकता है। इससे लोगों के सामाजिक जीवन में भी कई बदलाव लाए जा सकते हैं।
ऐसी महत्वाकांक्षी योजना बनाते समय इसकी सफलता के लिए कई बातें ध्यान में रखी जा सकती हैं... जैसे कि बीमित व्यक्ति का इलाज देश के किसी भी अस्पताल में किया जा सकता है...। भर्ती होने या न होने की स्थिति का चुनाव किया जा सकता है। इसके लिए मौजूदा सरकारी अस्पतालों के तंत्र का बेहतर उपयोग किया जा सकता है। सरकारी अस्पतालों में ज्यादातर सेवाएं पहले से ही मुफ्त हैं। बीमित व्यक्तियों को बेहतर सुविधाओं के लिए इन्हें बेहतर तरीके से तैयार किया जा सकता है। इससे उन्हें निजी अस्पतालों से प्रतिस्पर्धा करने में भी मदद मिलेगी।
पीएमजेजेबीवाई और पीएमएसबीवाई के बारे में जागरूकता और प्रचार संबंधी गतिविधियों पर अगले पांच वर्षों में खर्च के लिए सरकारी अंशदान के रूप में 50 करोड़ रुपये वार्षिक धन प्रदान करने के प्रस्ताव को कैबिनेट ने मंजूरी दी है। स्वास्थ्य बीमा योजना के लिए भी खर्चा इससे ज्यादा नहीं बैठेगा। प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना और प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना को इससे सीधे-सीधे जोड़ा जा सकता है।
यह एक सुझाव है... सरकार इस बारे में और बेहतर तरीके से सोच सकती है... निर्णय ले सकती है...।
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