जैसे ही 'लंच' करने बैठे, 'अल जजीरा' देखते-देखते 'गुरुजी' ने सवाल उछाला कि अमेरिका बगदादी पर लगातार हमले करने के अलावा उसकी 'फंडिंग' के रास्तों को रोकने में 'तत्परता' क्यों नहीं दिखाता...। तो, खाना एक तरफ रखकर उन्हें 'शिवजी की कहानी' सुनाई...। 

शिवजी ने भस्मासुर की 'लल्लो-चप्पो' से खुश होकर उसे किसी के भी सिर पर हाथ रखकर 'भस्म' करने की 'व्यवस्था' कर दी। बस फिर क्या था..., वह चल दिया जिस किसी के भी 'सिर' पर हाथ रखने। शिवजी यह सब होता 'देखते' रहे। जब चारों ओर जमकर 'तबाही' हो गई तो भस्मासुर को शिवजी का भी 'ध्यान' आया। जब शिवजी ने देखा कि यह तो अपने ऊपर ही हाथ रखने आ रहा है तो उठाकर अपनी 'त्रिशूल-मृगछाला', भाग लिए...।  ठीक वैसे ही, जैसे अब अमेरिका भागा घूम रहा है। लेकिन, कब तक भागते, आखिर 'इंतजाम' करना पड़ा और उसका हाथ उसी के सिर पर रखवाकर उसे 'नाच' नचा दिया। 

शिवजी को क्या पता नहीं था कि भस्मासुर उनके वरदान के बाद क्या-क्या कर सकता है। लेकिन, 'वरदान' दे डाला। अमेरिका को भी जरूर पता रहा होगा कि उसके तथाकथित 'व्यापार' और उसी जैसे कुछ दूसरे देशों द्वारा की जा रही फंडिग से क्या-क्या 'नुकसान' हो सकते हैं। लेकिन, फिर भी ऐसा किया गया...।

जब भारत जैसे कई देशों में ताबड़तोड़ आतंकवाद अपना 'डंक' मार रहा था तो भी वह 'खामोशी' से सब कुछ देखता रहता था, 'शिवजी' की तरह...। अब होगा यही कि वही लोग जिन्होंने उसकी अबतक 'फंडिग' की है, उसे 'नाच' नचाएंगे...। 'नचा' रहे हैं। गुरुजी, चुपचाप 'लंच' कर रहे हैं...। समझ गए हैं कि वह 'अमेरिका के राष्ट्रपति' होते तो शायद ऐसा ही करते, सोचते...। इससे पहले वह भारत जैसे देशों के 'प्रधानमंत्री' की तरह सोच रहे थे...।