कंटेंट यानी विषयवस्तु… सिरमौर क्यों...!? आज चर्चा इसी विषय पर...
अगर इतिहास में जाएं तो कोई सौ-दो सौ साल पीछे जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। मात्र 21 साल पीछे चले जाइए...। ऑनलाइन या कहें कि इंटरनेट के परिपेक्ष्य में यह ‘फ्रेज’ सबसे पहले बिल गेट्स ने दिया... तब उन्होंने एमएसन पर कंटेंट की महती जरूरत के संबंध में इस पर पूरा एक निबंध लिखा था..। गूगल करेंगे तो कहीं न कहीं मिल जाएगा... लेकिन तब से अब तक ऑनलाइन के बिजनेस में कंटेंट कितना जरूरी हो सकता है इस पर विचार कर लेते हैं।
अब जैसा कि कहा कि इंटरनेट की दुनियामें 21 साल पहले से यह ‘फ्रेज’ प्रचलन में है तो आज की प्रतिस्पर्धी डिजिटल मार्केटिंग की दुनिया में इस कंसेप्ट को ‘नया’ तो नहीं कहा जा सकता है। काफी पहले ही इसकी महत्ता को समझ लिया गया था। इसलिए, आज यह हमारी ऑनलाइन रणनीति का एक अहम हिस्सा है।
इंटरनेट का मकसद ही यह है कि यूजर की जरूरत और प्राथमिकताओं के हिसाब से बहुतायत में कंटेंट का उत्पादन किया जाए। सोचिए...। जब भी आप इंटरनेट पर कुछ ढूंढने जाते हैं तो उपलब्ध वेबसाइट की सूची में से उन्हीं वेबसाइट का चयन क्यों करते हैं जिनमें कंटेंट या जानकारियां ज्यादा मौजूद हों...!? जिन वेबसाइट्स पर कंटेंट कम या न के बराबर है..., उन्हें आप पहली नजर में डिसकार्ड क्यों कर देते हैं...??
पिछले 5-10 साल में इंटरनेट पर कंज्यूमर के व्यवहार में परिवर्तन आया है। पहले इंटरनेट के जरिए किसी उत्पाद या सेवा को ढूंढकर कंज्यूमर उसके बारे में और जानकारी जुटाने के लिए फोन करता था लेकिन अब फोन करने से पहले ग्राहक खुद-ब-खुद कंटेंट वेबसाइट्स से ज्यादा से ज्यादा जानकारियां हासिल कर लेने के बाद किसी उत्पाद में अपनी रुचि दिखाता है। आप अगर प्रामाणिक कंटेंट का उत्पादन कर रहे हैं तो आपका यूजर आप पर भरोसा जताते हुए आपकी सेवाओं का उपयोग करेगा।
हर वेबसाइट के लिए कंटेंट को लेकर एक जैसी रणनीति नहीं बनाई जा सकती। कुछ हद तक हर वेबसाइट के लिए इसपर अलग – अलग तरीके से सोचना होता है।
टैक्स्ट, इमेजेस, ग्राफिक्स, सर्वे, वीडियो जिस किसी भी तरह की विषयवस्तु आपकी है, यह सुनिश्चित करना होगा कि आपके ग्राहकों के लिए यह कितना मुफीद रहता है...!?
तो बात करते हैं फिर कि विषयवस्तु ही सिरमौर क्यों...?
उत्पाद का व्यक्तित्व निर्माण (Product Persona)
कंटेंट के जरिए आप अपने उत्पाद या सेवा के व्यक्तित्व का निर्माण कर पाते हैं। कई बार ग्राहक सवाल पूछता है कि आखिर आपका उत्पाद या सेवा है क्या...? समाचार वेबसाइट की बात करें तो आखिर मकसद क्या है... लक्ष्य क्या है... तो इसके ब्यौरे के लिए आपको शब्दों का ही सहारा लेना होता है। शब्दों के खाके के जरिए आप अपने बारे में ... अपने उत्पाद के बारे में या सेवा के बारे में बेहतर तरीके से अपने कंज्यूमर के साथ संवाद स्थापित करने में कामयाब होते हैं।
विज्ञापन से बेहतर आलेख (Write-up Vs Advertisement)
अच्छे तरीके से लिखा गया आलेख एक विज्ञापन से बेहतर होता है। विज्ञापन के जरिए उत्पाद के अस्तित्व की जानकारी मिलती है तो एक आलेख के जरिए उसे उस उत्पाद के बारे में उसके द्वारा किए जा रहे शोध में भी मदद मिलती है। और... यह बात तो कई बार सिद्ध हो चुकी है कि आज का कंज्यूमर विज्ञापन के बजाय अपने शोध के आधार पर किसी उत्पाद या सेवा को खरीदने का मन बनाता है।
प्रयोजन को प्रोत्साहन (Encouragement to Engagement)
कंटेंट हमेशा ग्राहक से सीधे बात कर लेता है। आपका काम जरूरत पड़ने पर बस व्याख्या करने का ही रह जाता है। अच्छी तरह से लिखा गया कंटेंट यूजर को ‘इन्वॉल्व’ रहने के लिए प्रेरित करता है। अच्छे कंटेंट को देखकर यूजर न केवल उसे ‘कंज्यूम’ करेगा…, ब्रांड वैल्यु को समझेगा…, बल्कि उसे शेयर या लाइक करने के लिए भी प्रेरित होगा। अगर स्थिति इसके उलट है तो यूजर कंटेंट को बस ‘सर्फ’ करके निकल जाएगा। पर्याप्त लाइक और शेयर न होने के चलते कंटेंट ऑनलाइन स्पेस में कहीं गुम हो जाएगा। कोशिश करनी चाहिए कि कंटेंट में यूजर न सिर्फ ‘पार्टिसिपेट’ करे बल्कि ‘कंज्यूम’ करके उसे आगे भी बढ़ाए।
बिक्री को और बढ़ाने में कारगर (Trigger to Sales)
सही तरह से लिखा गया और पेश किया गया कंटेंट आपको न केवल लीड्स दिलवाएगा बल्कि इसके परिणामस्वरूप आपकी सेल्स के आकड़े में भी वृद्धि करेगा। अच्छे कंटेंट से ब्रांड की प्रामाणिकता सिद्ध करने में बहुत मदद मिलती है। कंटेंट ऐसा हो कि वह केवल ब्रांड की अतिशयोक्तिपूर्ण तारीफें ही न करे बल्कि एक संतुलन के साथ तथ्यों को भी स्थापित कर सके। उत्पाद के प्रति ग्राहक की लॉयल्टी बढ़ाने में अच्छा कंटेंट एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
उत्पाद को ‘मूल्यवान’ से ‘बहुमूल्य’ बनाने में मदद (Pricey to Precious)
किसी भी वेबसाइट या ब्लॉग का कंटेंट यूजर के सवालों का जवाब देने वाला होता है। कंटेंट यदि इस तरह का हो जो उत्पाद के बारे में न सिर्फ ब्यौरा दे बल्कि इतना जानकारीपूर्ण भी रहे कि कंज्यूमर इसका तुलनात्मक रूप से न केवल विश्लेषण कर सके बल्कि उस पर भरोसा भी कर ले। आपके उत्पाद को लेकर आपके द्वारा लिखे लेख से उसे न केवल प्रॉडक्ट के बारे में जानकारी मिले साथ ही उसका ज्ञान भी बढ़े। आपका यह काम एक बेहतर तरीके से लिखा लेख कर सकता है।
एसईओ के लिए बेहद जरूरी (Important for SEO)
प्रोडक्शन के मामले में आजकल हर वेबसाइट पर एसईओ एक बेहद जरूरी पड़ाव बन चुका है। 300-500 शब्दों का मौलिक लेख जिसमें जरूरी और सही तरीके से रखे गए कीवर्ड और जरूरी इंटरलिक्स हों तो सर्च इंजन परिणामों में इसे प्राथमिकता मिल सकती है। इस तरह के लेखों के प्रकाशन की नियमितता से न केवल प्रामाणिकता बढ़ती है बल्कि बैकलिंक्स मिलने की भी पूरी संभावना बनती है जैसा कि आजकल बेहद जरूरी भी है।
ट्रैफिक में बढ़ोतरी (Increased Traffic)
अब चूंकि आपने एसईओ के सिद्धांतों का पालन किया है तो इसके सहारे लिखे गए लेख से ही आपके डायरेक्ट या अनडाइरेक्ट ट्रैफिक में बढ़ोतरी होगी। इससे न केवल ट्रैफिक बढ़ाने में मदद मिलेगी बल्कि इसके जरिए कंज्यूमर को वेबसाइट पर थाम के भी रखा जा सकता है। केवल ‘होम पेज’ और ‘कॉन्टेक्ट अस’ के साथ बनी वेबसाइटों की तुलना में संजीदगी से साथ रखे गए कंटेंट वाली वेबसाइट यूजर को बेहतर तरीके से अपने साथ समाहित रखने का माद्दा रखती है। बेहतर कंटेंट के सहारे यूजर को न केवल ‘इंगेज’ रखा जा सकता है बल्कि उसे और ज्यादा ‘नेविगेट’ करते रहने के लिए मजबूर भी किया जा सकता है।
ये कुछ खास बातें हैं जो हमें प्रोत्साहित करती हैं एक बेहतर कंटेंट को क्रिएट करने के लिए... कुछ सवाल लेते हैं...
(वेबफेयर द्वारा नई दिल्ली के ओखला में 19 नवंबर 2017 को आयोजित वेबफेयर मीटअप 3.0 में व्याख्यान)
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