मथुरा : नरेंद मोदी को देश की सत्ता संभाले हुए पूरा एक साल हो गया है। जाहिर है, यहां मथुरा में भी हेमामालिनी को सांसद बने एक वर्ष का समय पूरा हो गया है। देशभर में सत्ता और विपक्ष के नेता प्रेस कॉन्फ्रेंस कर के जनता को सालभर का खोया-पाया बता रहे हैं तो फिर क्यों न सांसद के कार्यकलापों का भी एक लेखा-जोखा कर लिया जाए।
शुरुआत हेमामालिनी द्वारा गोद लिए गांव रावल से ही की जाए। प्रधानमंत्री मोदी द्वारा हर सांसद को एक गांव गोद लेने के आह्वान के साथ सांसद हेमामालिनी ने रावल गांव को गोद लिया। हमारे सहयोगी प्रकाशन समाचारएक्सप्रेस.कॉम ने इसी गांव का दौरा करने का फैसला किया।
यहां के निवासी नाहर सिंह ने बताया कि जब हेमामालिनी ने गांव को गोद लेने की बात कही तो बहुत खुशी हुई थी। लेकिन, पूरा एक साल होने को है और अभी तक गांव के अंदर एक हेंडपम्प तक नहीं लगा। शौचालय की बात कही गई थी लेकिन अभी तक कुछ नहीं हुआ है।
एक अन्य निवासी गंगा प्रसाद ने बताया कि अभी तक गांव के खरंजे भी नहीं बने हैं। शिवराम बताते हैं कि गांव में शिक्षा का अभाव है। जो बच्चे किसी तरह पढ़-लिख गए हैं उन्हें रोजगार का अभाव है।सोरन सिंह कहते हैं कि राधा रानी की जन्मस्थली होने के बावजूद गांव की मुख्य सड़क टूटी पड़ी है।
इसी गांव में रहने वाली कमलेश ने बताया कि बच्चों के लिए स्कूल तो है पर वहां कोई सुविधा नहीं है। पानी की समस्या सबसे बड़ी है। गांव से करीब एक किमी दूर तक पानी लेने जाना पड़ता है। अस्पताल की बात भी कही गई थी। यदि कोई व्यक्ति बीमार हो जाए तो उसे शहर की ओर ही भागना पड़ता है।
गृहणी रामवती ने बताया कि गांव का पानी खारा है। पीने का मीठा पानी काफी दूर से लाना पड़ता है। यह आश्वासन भी मिला था कि गांव की औरतें खुले में शौच नहीं करेंगी लेकिन अभी तक तो कुछ भी नहीं बदला है।
बृज बचाओ समिति के अध्यक्ष मनोज चौधरी ने कहा सांसद हेमामालिनी ने एक खांटी नेता की तरह जो लुभावने वादे किए थे उनमें से एक यह भी था कि छाता में शुगर मिल को सालभर के अंदर शुरू कर दिया जाएगा जिससे युवाओं को रोजगार मिलेगा लेकिन न तो मिल ही शुरू हो पाई और ना ही लोगों को रोजगार। सड़क और पानी की समस्या जस की तस बनी हुई है।
इतना ही नहीं, मौसम की मार से बर्बाद हुए किसानों का मथुरा महोत्सव के नाम पर जमकर मजाक उड़ाया गया। आयोजन से पहले मथुरा की संस्कृति को संजोने की सिर्फ बातें ही की गईं। हुआ क्या ये सब जानते हैं। मुडेसी गांव के किसान मोहन सिंह कहते हैं कि अभी तो किसानों के घरों की चिता ठंडी भी नहीं हुई थी कि इस महोत्सव द्वारा जले पर नमक छिड़का गया। किसानों का बड़ा नुकसान हुआ है। जनपद में रोज एक से दो किसानों का मरना जारी रहा है। उसके बावजूद सांसद द्वारा आयोजित किए गए महोत्सव से क्या हासिल हो पाया, यह समझ से परे है।
गोकुल क्षेत्र के एक पुजारी पंकज दीक्षित ने बताया कि मथुरा महोत्सव कार्यक्रम द्वारा बृज की संस्कृति के साथ जो खिलवाड़ किया गया है उसकी घोर निंदा की जानी चाहिए। दीक्षित कहते हैं कि ब्रज को मथुरा महोत्सव के द्वारा पहचान दिलाने की जरूरत नहीं है।
सामाजिक कार्यकर्ता विजय कान्त कटारा बताते हैं कि सांसद हेमामालिनी ने वादे तो कई किए पर उनपर अमल किया जाना अभी बाकी है। अभी हाल तक यमुना नदी को स्वच्छ एवं निर्मल बनाने के लिए भी कोई योजना सामने नहीं आई है।
महोली रोड व्यवसायी समिति अध्यक्ष अनिल सारस्वत ने बताया की महोली रोड पर सड़क न बनने से व्यापारी काफी त्रस्त हैं। कई बार अधिकारियों और जन प्रतिनीधियों को अवगत कराया गया है पर किसी के कान पर जूं तक नहीं रेंगी। हालांकि, सारस्वत यह भी कहते हैं कि अभी एक साल में ही परिणाम हासिल नहीं हो सकते। वह बताते हैं कि कुछ गांवों में कई छोटे-बड़े कामों की शुरुआत की गई है। सांसद द्वारा सोंख कस्बे में आरओ प्लांट लगवाया गया है। एक डांस स्कूल के खोले जाने की भी चर्चा है।
महोली रोड निवासी और पेशे से चिकित्सक डॉ. उपेंद्र पांडे बताते हैं कि कहीं भी आने-जाने में पिछले कई सालों से काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। आए दिन कोई न कोई दुर्घटना होती ही रहती है। इस सिलसिले में कई बार जनप्रतिनिधियों को इस समस्या से अवगत कराया जाता रहा है, लेकिन अब तक कोई भी हल नहीं निकल पाया है। पेशे से वकील उमा शंकर ने बताया कि आए दिन यहां कोई न कोई हादसा होना आम बात है। स्कूल जाने वाले बच्चों के रिक्शे और टेम्पो पलटते रहते हैं। लेकिन, कोई भी सुनवाई नहीं कर रहा है।
महोली रोड की गिनती शहर की मुख्य सड़कों में होती है लेकिन इसके हालात किसी गांव से भी बदतर हैं। जूस विक्रेता पुष्पेन्द्र सिंह ने बताया कि दुकानदारी चौपट पड़ी है। सड़क से उड़ने वाली धूल सीधे फलों पर गिरती है। ऐसे में लोग दुकान पर कम ही आते हैं। दिनभर पानी के छींटे छिड़कने पड़ते हैं।
(सभी फोटो : रईस कुरैशी और जाहिद सईद)
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